मैं उनका ही होता, जिनसे
मैंने रूप-भाव पाए हैं.
वे मेरे ही हिये बंधे हैं
जो मर्यादाएं लाए हैं.
मेरे शब्द, भाव उनके हैं,
मेरे पैर और पथ मेरा,
मेरे अंत और अथ मेरा,
ऐसे किन्तु चाव उनके हैं.
मैं ऊँचा होता चलता हूँ
उनके ओछेपन से गिर-गिर
उनके छिछलेपन से खुद-खुद
मैं गहरा होता चलता हूँ
मैंने रूप-भाव पाए हैं.
वे मेरे ही हिये बंधे हैं
जो मर्यादाएं लाए हैं.
मेरे शब्द, भाव उनके हैं,
मेरे पैर और पथ मेरा,
मेरे अंत और अथ मेरा,
ऐसे किन्तु चाव उनके हैं.
मैं ऊँचा होता चलता हूँ
उनके ओछेपन से गिर-गिर
उनके छिछलेपन से खुद-खुद
मैं गहरा होता चलता हूँ
मैं ऊँचा होता चलता हूँ
जवाब देंहटाएंउनके ओछेपन से गिर-गिर
उनके छिछलेपन से खुद-खुद
मैं गहरा होता चलता हूँ
सुंदर अति सुंदर
बहुत अर्थपूर्ण कविता।
जवाब देंहटाएंक्या इसे ही वे *डी क्लास* होना कहते थे ??
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